सांप्रदायिक सद्भाव से देश व समाज ज्यादा जीने लायक बने

 

सांप्रदायिक सद्भाव सप्ताह / 19-25 नवंबर 2020

सांप्रदायिक सद्भाव से देश व समाज ज्यादा जीने लायक बने

फादर डॉ. एम. डी. थॉमस 

निदेशक, इन्स्टिट्यूट ऑफ हार्मनि एण्ड पीस स्टडीज़, नयी दिल्ली

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नवंबर के महीने में, 19 से 25 तक, भारत में ‘सांप्रदायिक सद्भाव सप्ताह’ या ‘कौमी एकता सप्ताह’ मनाया जाता है।

भारत के विविध छोटे और बड़े समुदायों के बीच सद्भाव, सरोकार और सहयोग बढ़ें और एक राष्ट्र के रूप में उनमें समरसता और एकता की भावना बुलंद हो, इस दिशा में जागरूकता फैलाना इस सप्ताह का मकसद है।

भारत के महान संविधान में मौजूद ‘पंथनिरपेक्षता’ के पुनीत आदर्श को आधार मान कर नागरिकों के आपस में साझेदारी, शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व और सामाजिक तालमेल कायम करना इस योजना की चरम मंजिल है।

जैसा कि हम लोग जानते हैं, हमारा भारत देश प्राचीन काल से अपनी विशाल विविधता के लिए जाना जाता रहा है। जाति, प्रजाति, जनजाति, भाषा, धर्म, वर्ग, विचारधारा, परंपरा, संस्कृति, वेशभूषा, खान-पान, सामाजिक रीति-रिवाज़, आदि से होने वाली ये विविधताएँ सही मायने में भारत की असीम ताकत है।

असल में, भारत की संस्कृति ‘इंद्रधनुष’ के समान है। जैसे विविध रंग अलग-अलग होकर भी एक साथ रहकर खूबसूरती की मिसाल बनते हैं, ठीक वैसे ही भारत के विविध समुदायों को मिल-जुल कर रहते हुए एक ‘साझी संस्कृति’ होने का परिचय देना होगा।

साथ ही, भारत की विविधता और एकता ‘एक शरीर के विविध अंगों’ के समान हैं। जिस प्रकार अंगों की अपनी-अपनी अहमियत है, भूमिका है और गरिमा है, ठीक उसी प्रकार भारत के विविध समुदाय एक दूजे की इज़्जत करते हुए अपने-अपने अधिकार और कर्तव्य के संतुलन में बँधे रहें, यही कायदा है।

इसलिए भारत के हम नागरिक बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक, उत्तर और दक्षिण, पूर्व और पश्चिम, आदि के साथ-साथ नस्ल, दल, रंग, विश्वास, आदि को लेकर टुकड़ों में बँटकर बिखर न जायें। बल्कि, वे एक दूसरे के साथ वैचारिक, धार्मिक, सामाजिक और साँस्कृतिक लेन-देन कर एक दूजे से सीखें और एक दूजे को समृद्ध करें तथा आपसी समझ और मैत्री को बढ़ाते जायें।

इस प्रकार, हम लोग भारत की अखण्डता और एकता को मज़बूत करें। मैं समझता हूँ, भारत की आज़ादी, समृद्धि, विकास और आत्म-निर्भरता, बस इस दिशा में ही हासिल होगी।

सांप्रदायिक सद्भाव सप्ताह ऐसा समय है जब ऐसा संकल्प हो कि विविध समुदायों के बीच मौजूद शराफत की रेखा का बराबर खयाल हो। साथ ही, सभी भारतवासी मिल-जुल कर रहते हुए और भारत की साझी संस्कृति को बढ़ाते हुए वसुधैव कुटुंबकम् के पावन आदर्श की ओर सदैव चलते जायें। सांप्रदायिक सद्भाव और कौमी एकता अमर रहें।

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लेखक इंस्टिट्यूट ऑफ हार्मनि एण्ड पीस स्टडीज़, नयी दिल्ली, के संस्थापक निदेशक हैं। आप कुछ 40 वर्षों से सर्व धर्म सरोकार, राष्ट्रीय एकता और सामाजिक समन्वय को बढ़ाने की दिशा में प्रतिबद्ध हैं। आप किताब, लेख, व्याख्यान, वीडियो संदेश, संगोष्ठी, सामाजिक चर्चा, आदि के ज़रिये उपर्युक्त मिशन में लगे हैं।

निम्नलिखित माध्यमों के द्वारा आप को देखा-सुना और आप से संपर्क किया जा सकता है। वेबसाइट: www.mdthomas.in’ (p), ‘https://mdthomas.academia.edu’ (p), ‘https://drmdthomas.blogspot.com’ (p) and ‘www.ihpsindia.org’ (o)सामाजिक माध्यमhttps://www.youtube.com/InstituteofHarmonyandPeaceStudies’ (o), ‘https://twitter.com/mdthomas53’ (p), ‘https://www.facebook.com/mdthomas53’ (p); ईमेल‘mdthomas53@gmail.com’ (p) और दूरभाष9810535378 (p).

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